#शब्द_मीमांसा #10
शब्द- षड्यंत्र
शब्द संप्रेषक - मोटाभाई कनाणी
दिनाँक - 19/08/2017
किसी भी अपराध के गठन हेतु तत्वों की आवश्यकता होती है प्रथम दुर्भावना और द्वितीय दुष्कृत्य । यह सामान्य सिद्धांत है कि साधारणतः सभी अपराधों में दोनों का होना आवश्यक माना जाता है किंतु कुछ अपराध ऐसे भी होते हैं जो केवल मानसिक होते हैं तथा उनमें दुर्भावना या दुराशय का तत्व ही गठित करने के लिए पर्याप्त होता है उसमें से षड्यंत्र भी एक इसी प्रकार का अपराध है ।
शब्द षड्यंत्र दो शब्दों के मेल से बना है । प्रथम शब्द है "षड़" जिसका अर्थ होता है छः अर्थात व्यक्ति की छः दुष्प्रवृत्तियाँ जिन्हें काम, क्रोध, लोभ,मोह, मद, मत्सर नाम से जाना जाता है । द्वितीय शब्द है "यंत्र" जिसका यहां पर आशय है "युक्ति अथवा जाल" । अर्थात व्यक्ति की छः दुष्प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर बनाया गया गुप्त जाल अथवा युक्ति ही षड्यंत्र है ।
षड्यंत्र के अपराध के गठित होने के लिए कुछ चीजो क् होना आवश्यक है -
प्रथम है दुर्भावना पूर्ण आशय क्योंकि यदि आशय दुर्भाग्यपूर्ण न होकर सद्भावना पूर्ण होगा तो यह षड्यंत्र ने होकर योजना मात्र रह जायेगी ।
द्वितीय है कि षड्यंत्र में कम से कम दो अथवा दो से अधिक लोग होने आवश्यक है क्योंकि एक व्यक्ति अकेले कोई षड्यंत्र नहीं कर सकता क्योंकि अन्य दशाएं पूर्ण नहीं हो सकेंगी षड्यंत्र के लिए एक व्यक्ति द्वारा ।
तृतीय आवश्यकता है व्यक्तियों के बीच एक संविदा होनी चाहिए उस कार्य को करने की उनके आशय सामान्य होने चाहिए अर्थात सभी व्यक्ति एक ही बिंदु पर एक ही तरह से सहमत होने चाहिए उनमें मत वैभिन्य नहीं होना चाहिए उक्त कार्य के प्रति ।
चौथी आवश्यकता है षड्यंत्र के अपराध के गठन हेतु कि सभी व्यक्तियों के जो उस दुष्कृत्य मे संलग्न हो सबके मस्तिष्क पहले से मिले होने चाहिए यदि कोई एक व्यक्ति किसी को मार रहा हो दूसरा भी आकर मारने लगे तो उसे षड्यंत्र नहीं कहेंगे ।
तथा पांचवी तथा अंतिम आवश्यकता है इस अपराध के लिए कि षड्यंत्र में शामिल सभी लोग अपने सामान्य आशय अथवा सामान्य उद्देश्य के अग्रसारण में कार्य करें ।
यदि हम षड्यंत्र के प्रकारों की बात करें तो पाते हैं कि प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री "माइकल बरकुन" ने षड्यंत्र के कार्यक्षेत्र के आधार पर इसे तीन प्रकार का बताया है -
प्रथम है घटनात्मक षड्यंत्र इसके अंतर्गत एक सीमित घटना हेतु षड्यंत्र किये जाते हैं तथा यह किसी घटना विशेष अथवा घटनाओं के समूह के लिए उत्तरदायी होता है ।
दूसरा है प्रणालीगत षड्यंत्र । इसके अंतर्गत षड्यंत्रों की एक पूरी प्रणाली कार्य करती है इसका उद्देश्य किसी जाति , धर्म या राष्ट्र आदि के विरुद्ध होता है ।
तीसरा और अंतिम है अतिषड्यंत्र । इसके अंतर्गत घटनात्मक तथा प्रणालीगत षड्यंत्रों की एक लंबी श्रृंखला शामिल होती है इन्हें परस्पर गूंथा जाता है आपस में ।
शब्द- षड्यंत्र
शब्द संप्रेषक - मोटाभाई कनाणी
दिनाँक - 19/08/2017
किसी भी अपराध के गठन हेतु तत्वों की आवश्यकता होती है प्रथम दुर्भावना और द्वितीय दुष्कृत्य । यह सामान्य सिद्धांत है कि साधारणतः सभी अपराधों में दोनों का होना आवश्यक माना जाता है किंतु कुछ अपराध ऐसे भी होते हैं जो केवल मानसिक होते हैं तथा उनमें दुर्भावना या दुराशय का तत्व ही गठित करने के लिए पर्याप्त होता है उसमें से षड्यंत्र भी एक इसी प्रकार का अपराध है ।
शब्द षड्यंत्र दो शब्दों के मेल से बना है । प्रथम शब्द है "षड़" जिसका अर्थ होता है छः अर्थात व्यक्ति की छः दुष्प्रवृत्तियाँ जिन्हें काम, क्रोध, लोभ,मोह, मद, मत्सर नाम से जाना जाता है । द्वितीय शब्द है "यंत्र" जिसका यहां पर आशय है "युक्ति अथवा जाल" । अर्थात व्यक्ति की छः दुष्प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर बनाया गया गुप्त जाल अथवा युक्ति ही षड्यंत्र है ।
षड्यंत्र के अपराध के गठित होने के लिए कुछ चीजो क् होना आवश्यक है -
प्रथम है दुर्भावना पूर्ण आशय क्योंकि यदि आशय दुर्भाग्यपूर्ण न होकर सद्भावना पूर्ण होगा तो यह षड्यंत्र ने होकर योजना मात्र रह जायेगी ।
द्वितीय है कि षड्यंत्र में कम से कम दो अथवा दो से अधिक लोग होने आवश्यक है क्योंकि एक व्यक्ति अकेले कोई षड्यंत्र नहीं कर सकता क्योंकि अन्य दशाएं पूर्ण नहीं हो सकेंगी षड्यंत्र के लिए एक व्यक्ति द्वारा ।
तृतीय आवश्यकता है व्यक्तियों के बीच एक संविदा होनी चाहिए उस कार्य को करने की उनके आशय सामान्य होने चाहिए अर्थात सभी व्यक्ति एक ही बिंदु पर एक ही तरह से सहमत होने चाहिए उनमें मत वैभिन्य नहीं होना चाहिए उक्त कार्य के प्रति ।
चौथी आवश्यकता है षड्यंत्र के अपराध के गठन हेतु कि सभी व्यक्तियों के जो उस दुष्कृत्य मे संलग्न हो सबके मस्तिष्क पहले से मिले होने चाहिए यदि कोई एक व्यक्ति किसी को मार रहा हो दूसरा भी आकर मारने लगे तो उसे षड्यंत्र नहीं कहेंगे ।
तथा पांचवी तथा अंतिम आवश्यकता है इस अपराध के लिए कि षड्यंत्र में शामिल सभी लोग अपने सामान्य आशय अथवा सामान्य उद्देश्य के अग्रसारण में कार्य करें ।
यदि हम षड्यंत्र के प्रकारों की बात करें तो पाते हैं कि प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री "माइकल बरकुन" ने षड्यंत्र के कार्यक्षेत्र के आधार पर इसे तीन प्रकार का बताया है -
प्रथम है घटनात्मक षड्यंत्र इसके अंतर्गत एक सीमित घटना हेतु षड्यंत्र किये जाते हैं तथा यह किसी घटना विशेष अथवा घटनाओं के समूह के लिए उत्तरदायी होता है ।
दूसरा है प्रणालीगत षड्यंत्र । इसके अंतर्गत षड्यंत्रों की एक पूरी प्रणाली कार्य करती है इसका उद्देश्य किसी जाति , धर्म या राष्ट्र आदि के विरुद्ध होता है ।
तीसरा और अंतिम है अतिषड्यंत्र । इसके अंतर्गत घटनात्मक तथा प्रणालीगत षड्यंत्रों की एक लंबी श्रृंखला शामिल होती है इन्हें परस्पर गूंथा जाता है आपस में ।
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